Diary / Calendar 2023 Diary/Calendar 2023

महानिदेशक संदेश

DG Sirकोरोना विभीषिका के वैश्विक संकट में जब समूचा राष्‍ट्र किंकर्त्‍तव्‍यविमूढ़ था। दूरदर्शी प्रधानमंत्री जी ने आत्‍मनिर्भरता का नारा दिया। देशवासियों की एकजुटता और साहस ने वो कर दिखाया, जिसकी कल्‍पना करना भी असंभव था। स्‍वदेशी वैक्‍सीन। 200 करोड़ डोज। पड़ोसी मुल्‍कों की मदद। कोराना पर काबू। शेष अब इतिहास बन चुका है।हमारे यशस्‍वी मुख्‍यमंत्री का चिंतन था- आत्‍मनिर्भर राष्‍ट्र की पहली जरूरत है - आत्‍मनिर्भर प्रदेश। मध्‍यप्रदेश ने आत्‍मनिर्भरता का रोडमैप बनाया। संकल्‍प पूर्ति के लिये समय-सीमा 2023 रखी। रोडमैप के अध्‍याय-2 बिंदु क्रमांक 16 में सुशासन के लिये जन-भागीदारी को बढ़ावा देने का लक्ष्‍य निर्धारित किया गया है। इस लक्ष्‍य प्राप्ति के लिये विशेषज्ञता वाले नियामक निकाय एवं गैर-राज्‍य संस्‍थाओं को मजबूत करना, नियमित अंतराल में सामाजिक अंकेक्षण और योजनाओं के अनुश्रवण में जन-भागीदारी को प्रोत्‍साहित करने का दायित्‍व सभी संबंधित विभागों पर होने का उल्‍लेख किया गया है। इसी क्रम में मध्‍यप्रदेश शासन ने वर्ष 2022 की थीम ''जनभागीदारी से आत्‍मनिर्भर मध्‍यप्रदेश'' रखी है।

तथ्‍यपरक विश्‍लेषण करें तो आत्‍मनिर्भरता केवल विचार नहीं। सम्‍यक् सामूहिक व्‍यवहार है। अपनी जरूरत के संसाधन जुटा लेना मात्र ही आत्‍मनिर्भरता का दर्शन नहीं। अपनी समस्‍याओं के समाधान के लिये पहल, परिश्रम और पुरूषार्थ की त्रिवेणी प्रवाहित करना ही सही अर्थों में आत्‍मनिर्भरता है। समाज में दृष्टि डालें - पीडि़त और उपेक्षित कौन हैं? अज्ञानता और अभाव से प्रभावित कौन हैं - अनुसूचित जाति -जनजाति के लोग, महिलायें और बच्‍चे, गरीब और अनपढ़, पिछड़े और दलित। भारतरत्‍न बाबासाहेब भीमराव अंबेडकर ने आह्वान किया था- पढ़ो, लड़ो और आगे बढ़ो। पढ़ाई और हुनरमंदी ही वे दो जादुई मंत्र हैं- जो हमें अभाव और अज्ञानता के दुष्‍चक्र से मुक्ति दिला सकते हैं। आजादी के अमृत महोत्‍सव में, शासकीय प्रावधानों का लाभ लेकर यदि हम अभाव और अज्ञानता पर विजय पाते हैं तो यह संविधान निर्माता और राष्‍ट्रपिता को सच्‍ची श्रृद्धांजलि होगी। यद्यपि सर्वशिक्षा अभियान की सफलता से साक्षरता का प्रतिशत निरंतर बढ़ रहा है। लेकिन उच्‍च शिक्षा के लिये दस्‍तक देने वाले युवाओं की संख्‍या अब भी बहुत कम है। आंकडे बताते हैं कि 12वीं पास करने वाले 100 में से केवल 34 ही उच्‍च शिक्षा में जाते हैं। शेष कहां जाते हैं? - अपनी परिस्थिति से पराजित होकर सुदूरवर्ती ग्रामों में विकास और प्रेरणा के अभाव में गांव में ही रह जाते हैं। अभिशप्‍त और  लक्ष्‍यविहीन जीवन के कारण असी‍मित ऊर्जा अपव्‍यय होती है। जीवन सार्थक संकल्‍पों के बगैर समय-काटने का, अर्थहीन गतिविधियों में जीवन खपाने का प्रकल्‍प बन जाता है। क्‍या इस दुष्‍चक्र से निकलने का कोई उपाय है। जहां शिक्षा और कौशल संवर्धन का गुणवत्‍तापूर्ण विकल्‍प शिक्षार्थी को उसकी घर की दहलीज़ पर ही मिल जाये ? गांव ही पाठशाला बन जाये और समुदाय ही प्रयोगशाला।

मुख्‍यमंत्री सामुदायिक नेतृत्‍व क्षमता विकास कार्यक्रम प्रदेश शासन की महत्‍वाकांक्षी पहल है। उच्‍च शिक्षा के आलोक को कौशल सृजन, कौशल संवर्धन का आलोक ग्राम-ग्राम, द्वार-द्वार तक पहुँचाने का विकल्‍प है। संकल्‍प है। राष्‍ट्रीय शिक्षा नीति-2020 के युगान्‍तरकारी प्रावधानों ने शिक्षा को लचीला, बंधनों से मुक्‍त और सर्वसुलभ बनाया है। कोरोनाकाल में लोकप्रिय हुई शिक्षा की 4.0 तकनीक ने सुदूरवर्ती अभावग्रस्‍त अंचलों में गुणवत्‍तापूर्ण शिक्षा का मार्ग प्रशस्‍त किया है। अब आप घर बैठे ही अपने सपनों की शिक्षा और कौशल संवर्धन के इस अवसर से जुड़कर अपने सपनों को साकार कर सकते हैं। आईये! इस कार्यक्रम का लाभ लेकर अभावों को उन्‍नति के अवसर में बदलें। शिक्षा और कौशल से मन:स्थिति तथा जनसहभागिता से परिस्थिति परिवर्तन के वाहक बनें। स्‍वयं को बदलें। समाज में बदलाव की पहल करें।

(बी.आर. नायडू)
महानिदेशक
म.प्र. जन अभियान परिषद्

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