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कुलपति संदेश

विश्वं ग्रामे प्रतिष्ठितम्

सुप्रसिद्ध समाज सेवी भारतरत्न राष्ट्रऋषि नानाजी देशमुख के दूरदर्शी प्रयासों और पहल के परिणामस्वरूप मध्यप्रदेश शासन द्वारा चित्रकूट में पुण्य सलिला माँ मंदाकिनी के सुरम्य तट पर महात्मा गांधी चित्रकूट ग्रामोदय विश्वविद्यालय की स्थापना 12 फरवरी 1991 को एक पृथक अधिनियम 9, 1991 के द्वारा देश के पहले ग्रामीण विश्वविद्यालय के रूप में हुई। विश्वविद्यालय का ध्येय वाक्य है- ‘विश्वं ग्रामे प्रतिष्ठितम्’ अर्थात ग्राम विश्व का लघु रूप है। सर्वांगीण ग्राम्य विकास के उद्देश्य की प्राप्ति हेतु विगत तीन दशकों से विश्वविद्यालय अपनी सम्पूर्ण रचनात्मक ऊर्जा का विनियोग कर रहा है। निर्धन के मित्र, विकास के चिंतक और शासन के सहयोगी के रूप में विश्वविद्यालय ने अपनी उल्लेखनीय सेवायें प्रदेश और राष्ट्र को समर्पित की हैं।
मुख्यमंत्री सामुदायिक नेतृत्व क्षमता विकास कार्यक्रम (सी.एम.सी.एल.डी.पी.) मध्यप्रदेश शासन की एक महत्वाकांक्षी और अभिनव पहल है। इस कार्यक्रम के अंतर्गत विश्वविद्यालय मध्यप्रदेश जनअभियान परिषद् के सहयोग से प्रदेश के समस्त 313 विकासखण्डों में विकास की आवश्यकताओं हेतु वांछित मानव संसाधन तैयार करने के उद्देश्य से समाज कार्य के स्नातक और परास्नातक स्तरीय पाठ्यक्रमों का संचालन करने जा रहा है। विश्वविद्यालय ने इस कार्य का शुभारम्भ शैक्षणिक सत्र 2015-16 से किया था। स्नातक स्तरीय पाठ्यक्रम में अब तक एक लाख पच्चीस हजार से अधिक छात्र पंजीकृत होकर पाठ्यक्रम पूर्ण कर चुके हैं। पाठ्यक्रम की उपलब्धियाँ सहज ही गौरव की अनुभूति कराने वाली हैं।

‘राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020’ के युगान्तरकारी प्रावधानों ने भारतीय शिक्षा की दशा और दिशा में आमूलचूल परिवर्तन करने का शंखनाद कर दिया है। हमारा प्रदेश इसमें नेतृत्वकर्ता की भूमिका में है। हमारा विश्वविद्यालय विद्यार्थियों के लिए उपयोगी प्रावधानों को इस पाठ्यक्रम से अर्थपूर्ण रूप में जोड़कर इन्हें सत्र 2022-23 से पुनः संशोधित-परिवर्धित रूप में प्रारम्भ करने जा रहा है। पाठ्यक्रम यद्यपि दूरवर्ती पद्धति से संचालित है, किन्तु नियमित संपर्क कक्षाओं के आयोजन, उच्च गुणवत्ता की स्व-अध्ययन सामग्री एवं नई शैक्षिक प्रौद्योगिकी का उपयोग करते हुए शिक्षार्थी को ‘लर्निंग मैनेजमेंट सिस्टेम (एल.एम.एस.)’ और ‘स्मार्ट फोन’ पर एक्सेस करने वाले एप्प के माध्यम से बेहतरीन शैक्षणिक अनुभव प्रदान करने की व्यवस्था सुनिश्चित कर रहा है। ऐसा करने वाला यह प्रदेश का पहला विश्वविद्यालय है। पाठ्यक्रम का लक्ष्य गांव-गांव में विकास की क्षमता और समझ रखने वाले परिवर्तन दूतों को तैयार करना है। यह विश्वविद्यालय के लक्ष्यों के केन्द्र में भी है और ‘संगच्छत्वम् सम्वदत्वम्’ की अवधारणा वाले मध्यप्रदेश जन अभियान परिषद् के क्रिया-कलापों के केन्द्र में भी है। समान अवधारणा और कार्यक्रमों से ग्राम्य जीवन को पुष्पित-पल्लवित करने वाले इन संस्थानों का मणि-कांचन संयोग प्रदेश के विकास परिदृश्य के लिए अनुकूल और अनुकरणीय होगा। ऐसा मेरा दृढ़ विश्वास है।

पाठ्यक्रम से जुड़े शिक्षार्थियों, अभिभावकों, प्रशासकों, समन्वयकों और अन्य सभी को मेरी मंगलकामनाएँ!

(प्रो. भरत मिश्रा)
      कुलपति

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