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सामुदायिक प्रयोगशाला के रूप में ग्राम/क्षेत्र (Villages/Areas as Community Laboratories)
पाठ्यक्रम में व्यावहारिक अभ्यास कार्य (एसाइनमेंट फील्ड वर्क) सबसे महत्वपूर्ण अवयव है। पंजीकृत प्रत्येक विद्यार्थी को अपनी रुचि अथवा परामर्श से अध्ययन अवधि के दौरान एक ग्राम/क्षेत्र का चयन अनिवार्यतः करना होगा। यह ग्राम उसकी सामुदायिक प्रयोगशाला के रूप में होगा। विद्यार्थीको अपनी प्रत्येक विषय से सम्बन्धित फील्ड वर्क संबंधी समस्त गतिविधियाँ इसी ग्राम में लोगों की सहभागिता से सम्पन्न करनी होगी। पाठ्यक्रम के अंत में इस क्षेत्र में किये गये कार्यों के आधार पर ही विद्यार्थी के प्रायोगिक कार्य प्रतिवेदन का मूल्यांकन किया जायेगा।
व्यावहारिक अभ्यास कार्य (Field Work Practice) : Assignments, Field Work and Internship
पाठ्यक्रम के व्यावहारिक अभ्यास कार्य (एसाइनमेंट फील्ड वर्क के लिए विशेषज्ञों के मार्गदर्शन में अभ्यर्थी को निर्धारित कार्य दी गई समय-सीमा में चयनित गाँव क्षेत्र में पूर्ण करना होगा। इस कार्य का प्रतिवेदन निर्धारित प्रपत्रों (फार्मेट में दस्तावेज बनाकर सुरक्षित रखना होगा। मूल्यांकन के समय प्रत्येक अभ्यर्थी को व्यावहारिक अभ्यास कार्य के रूप में किये गये कार्याें की प्रस्तुति करना अनिवार्य होगा। व्यावहारिक कार्य से संबंधित संक्षिप्त जानकारी यहाँ दी जा रही है -
- व्यावहारिक अभ्यास कार्य (एसाइनमेंट फील्ड वर्क इंटर्नशिप पाठ्यक्रम का एक अभिन्न और महत्वपूर्ण हिस्सा है। यह कार्य मेंटर्स या विशेषज्ञों के द्वारा दिये गये परामर्श से शिक्षार्थी को पूरा करना होगा।
- व्यावहारिक अभ्यास कार्य (एसाइनमेंट फील्ड वर्क इंटर्नशिप) का आयोजन पूर्व में घोषित निर्धारित रविवार को आयोजित होने वाली सम्पर्क कक्षाओं के अलावा कभी भी किया जा सकता है। इसके अंक परीक्षा में शामिल किये जायेंगे।
- व्यावहारिक अभ्यास कार्य (एसाइनमेंट फील्ड वर्क) 30 अंकों का होगा। जिसमें से क्षेत्रीय कार्य के लिए 15 अंक एवं एसाइनमेंट के लिए 15 अंक निर्धारित किये गये हैं ।
- प्रत्येक प्रश्नपत्र में निर्धारित सतत विकास लक्ष्य SDG's के किसी भी एक लक्ष्य को प्राप्त करने के लिये शासन की योजनाओं के आधार पर समुदाय के व्यावहारिक परिवर्तन (Behavioural Change) के लिए उपयुक्त हस्तक्षेप (Intervention) हेतु कार्य करना होगा। ऐसे प्रत्येक प्रश्नपत्र के लिए जिसमें प्रायोगिक कार्य का प्रावधान किया गया है उसमें किसी निर्धारित सतत विकास लक्ष्य के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए चयनित गाॅव में जन सहभागिता या सामुदायिक प्रयास (Community Engagement) प्राप्त कर लक्ष्यगत, व्यवहारगत अथवा कोई अन्य सकारात्मक परिवर्तन से सम्बन्धित प्रायोगिक कार्य छात्र द्वारा किया जायेगा।
- प्रायोगिक कार्य के अन्तर्गत प्रत्येक लक्ष्य के लिए एक निर्धारित सूचकांक (Indicater) होगा जिसके लिए सर्वप्रथम चयनित गांव का आधारभूत सर्वेक्षण (Baseline Servey) तथा कार्यायान्तक सर्वेक्षण (Endline Servey) करते हुए परिणामों को मापना होगा। इसके लिए गाॅव में किये गये प्रत्येक कार्यो का प्रक्रियागत दस्तावेज (Process Documenation) तैयार कर प्रतिवेदन लिखना होगा। इसी प्रतिवेदन के मासिक प्रगति को प्रदत्तकार्य प्रतिवेदन (Assignment Report) के रूप में प्रस्तुत करना होगा।
- फील्डवर्क का मूल्यांकन वर्षवार तैयार प्रतिवेदन एवं साक्षात्कार के आधार पर किया जावेगा। यह वार्षिक परियोजना प्रतिवेदन (Project Report) प्रतिवेदन मासिक प्रक्रियागत दस्तावेज (Process Documenation) के आधार पर तैयार किया जायेगा जिसका प्रस्तुतीकरण वाह्य परीक्षक के समक्ष करना होगा। वर्ष भर किये जाने वाले प्रायोगिक कार्य के प्रक्रियागत दस्तावेज (Process Documenation) पर चर्चा मेन्टर के साथ सम्पर्क कक्षाओं में की जावेगी।
- प्रक्रियागत दस्तावेज (Process Documenation) एवं परियोजना प्रतिवेदन (Project Report) समय सीमा के अन्दर प्रस्तुत करने पर 30 अंक विषय विशेषज्ञों के द्वारा प्रदान किया जायेगा।
- प्रायोगिक कार्य के तहत इन्टर्नशिप/प्रोजक्ट वर्क भी करना है। इसके तहत छात्रों को जिला प्रशासन के सहयोग से 45 दिन के लिए किसी
- शासकीय विभाग के अंतर्गत इन्टर्नशिप करने हेतु लगाया जायेगा। जहाँ पर वे व्यावहारिक अनुभव प्राप्त करेंगे।
- प्रायोगिक कार्य (Field Work) कार्यों के लिये समुदाय के साथ किये जा सकने वाले कार्य उदाहरण स्वरूप निम्नानुसार प्रस्तुत हैं-
क्र. |
माह |
निर्धारित कार्य /विषय |
1. |
जून |
1. जल संरक्षण अंतर्गत छोटी-छोटी संरचनाओं का निर्माण एवं जल स्त्रोतों की साफ-सफाई करना। जैसे-बोरी बंधान, सोख्ता गड्ढा / सोख पीठ तालाब गहरीकरण, कुआँ/ बावड़ी का साफ सफाई तथा गहरीकरण आदि कार्य करना। 2. शिक्षा (स्कूल चलो अभियान) अंतर्गत शाला त्यागी बच्चों का स्कूल में नियमितीकरण हेतु अभिभावकों से मिलकर बच्चों के शिक्षा के अधिकार के प्रति जागरूक करना तथा बच्चो का शाला में प्रवेश कराना। 3. 05 जून विश्व पर्यावरण दिवस, 26 जून अंतराष्ट्रीय नशीली दवाओं का सेवन एवं अवैध तस्करी निषेध दिवस, 27 जून विश्व मधुमेह दिवस पर जन जागरूकता बैंठको चौपालों का आयोजन। 4. प्रत्येक परिवार में तथा सामुदायिक व सरकारी खुले पड़े स्थानो पर वृक्षारोपण, किचिन गार्डन इत्यादि से पंचवटी से पोषण के लिये सम्पूर्ण कार्य की कार्य योजना तैयार कर अंतिम रूप देना। ग्रामवासियों, महिला एवं बाल विकास विभाग, उद्यानिकी, वन कृषि विभाग, आदि के जमीनी अमले के साथ मिलकर बनाई जाये। 5. डायरिया एवं मौसमी बीमारियों के बारे में जागरूगता लाना। 6. ‘‘आंगनबाड़ी चलो’’ अभियान में सक्रिय भागीदारी। 7. लाड़ली लक्ष्मी योजना हेतु पात्र बालिकाओं का चिन्हांकन । 8. लाड़ली लक्ष्मी योजना के हितग्राही बालिकाओं का छात्रवृत्ति हेतु चिन्हांकन व परियोजना अधिकारियों को रिपोर्टिग। |
2. |
जुलाई |
1. ग्रामवासियों को विकेन्द्रीकृत नियोजन के अन्तर्गत योजना निर्माण में समुदाय एवं ग्राम सभा की भूमिका के संबध में चौपाल/ बैठक का आयोजन कर जागरूक / प्रशिक्षित करना। 2. स्कूल चलें हम अभियान के अंतर्गत शाला त्यागी एवं शाला जाने योग्य बच्चों के अभिभावकों से सम्पर्क कर समस्त बच्चो को प्रवेश दिलवाना। 3. पंचवटी से पोषण के लिए सम्पूर्ण ग्राम की कार्य योजना के अनुरूप कार्य करना। 4.’’आंगनवाडी चलो’’ अभियान में सक्रिय भागीदारी। 5. 1-7 अगस्त में स्तनपान स्ाप्ताह के आयोजन पूर्व पर्याप्त प्रचार प्रसार। |
3 |
अगस्त |
1. जलवायु परिवर्तन के प्रभाव से जंगलो भूमिक्षरण और जैवविविधता के बढते नुकसान को रोकने हेतु जनजागरण। ग्राम के सामुदायिक भवनों एवं स्कूलों के मैदानो में फलदार छायादार एवं फूलो के पौधेां का रोपण तथा विद्यार्थियों व आमजन को वृक्षों के महत्व व पर्यावरण संरक्षण के प्रति जागरूक कर पौधों के संंरक्षण हेतु उनकी जिम्मेदारी तय करना। 2. ग्राम सभा में भागीदारी करने हेतु प्रेरित करना। 3. अगस्त स्तनपान सप्ताह का आयोजन। 4. सितम्बर राष्ट्रीय पोषण आहार सप्ताह के आयोजन के पूर्व आवश्यक तैयार एवं प्रचार प्रसार। |
4 |
सितम्बर |
1. कृषि की विभिन्न विधाओं जैसे- रेशम कीट, मधुमक्खी पालन, मत्स्य पालन/फूल/फल/ सब्जी उत्पादन, मिथेन फामिर्ंग, पशुपालन आदि को बढावा देने तथा जैविक खेती के प्रमाणीकरण हेतु पंजीयन का कार्य एवं शासकीय योजनाओं व तकनीकी ज्ञान का प्रचार प्रसार। 2. पोषण ज्ञान जागरूकता के लिये घर-घर जाकर सम्पर्क करना। 3. लालिता अभियान के अंतर्गत रक्ताल्पता (एनीमिया) अर्थात शरीर में खून की कमी में सुधार लाने हेतु शालाओ में जागरूकता एवं प्रचार प्रसार करना। 4. डायरिया एवं मौसमी बीमारियों के बारे में जागरूकता लाना। 5. 1-7 सितम्बर राष्ट्रीय पोषण-आहार सप्ताह के आयोजन की भागीदारी। |
5 |
अक्टूबर |
1. शासन द्वारा विविध सहायता हेतु संचालित योजनाओं की जानकारी ग्रामीणजनों को उपलब्ध कराना एवं विविध साक्षरता के संबध में उन्हे शिक्षित/प्रशिक्षित करना। लैंगिक समानता प्राप्त करने हेतु महिलाओं को उनके अधिकार एवं नियमों के संबध में जागरूक करना। 2. विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी की नवीनतम तकनीकों का प्रचार-प्रसार जो रोजगार सृजन एवं सूक्ष्म लघु उद्योग इकाई स्थापित करने में सहायक हो। 3. लाड़ो अभियान के अंतर्गत बाल विवाह रोकने हेतु जन जागरूकता अभियान चलाना। 4. गाँधी जयंती पर ग्राम सभा में आयोजन में भागीदार करने हेतु प्रेरित करना। 5. पंचवटी से पोषण में लगाये गये पौंधेां की जीवितता सुनिश्चित करना। |
6 |
नवंबर |
1. ग्रामवासियों को गंदगी के विभिन्न कारणों के प्रति जागरूक कर स्वच्छता अभियान चलाना तथा गॉव को कचरे एवं गदंगी से मुक्त कराने की योजना बनाना लागू करना। 2. लाडो अभियान के अंतर्गत बाल विवाह रोकने हेतु जन जागरूकता अभियान चलाना। 3. बाल दिवस 14 नवम्बर पर आँगनबाडी केन्द्रों पर महिलाओं एवं बच्चों को सप्ताह में एक बार देश प्रेम वीरता की प्रेरणा देने वाली अथवा मिट्टी, पानी व वृक्षों के प्रति संवेदनशील करने वाली सत्य घटनायें सुनाना, लोकगीत नृत्य अथवा अन्य स्थानीय रुचि के अनुरूप सास्ंकृतिक गतिविधियाँ आयोजित करना। |
7 |
दिसम्बर |
1. शासन द्वारा संचालित योजनाओं के प्रति जन-जागरूकता । ग्राम में संचालित शासकीय योजनाओं की सूची बनाना, पात्र हितग्राही की पहचान करना तथा उन्हें उपयुक्त शासकीय योजना से जोड़ने का प्रयास करना एवं शासकीय योजनाओं का लाभ लेने हेतु आमजन को प्रोत्साहित करना। 2. महिलाओं को महिला संरक्षण के जुडे कानूनों की जानकारी, योजनाओं आदि पर जागरूकता अभियान चलाना। 3. महिला हिंसा एवं बालकों के प्रति होने वाली हिंसा के प्रति जन-जागरूकता लाना। |
8 |
जनवरी |
1.बीमारी की रोकथाम, निवारण तथा आहार एवं पोषण के महत्व के प्रति ग्रामवासियों को जागरूक करना। 2. 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस पर ग्राम सभा में स्वयं उपस्थित रहना एवं अन्य को ग्राम सभा में भागीदारी हेतु प्रेरित करना। 3. राष्ट्रीय पर्वो में उत्साह के साथ समाज को जोडना व स्वयं उपस्थित रहना। बच्चों का देश मे प्रगाढ़ रिश्ता बनाने के लिए छोटी-छोटी सरल कविताओं व नारे बच्चों से बुलवाना। 4. घरेलू हिंसा के प्रति लोगो को जागरूक करना। |
9. |
फरवरी |
1. मनुष्य के जन्म से लेकर मृत्यु तक शासकीय विभागों से विभिन्न दस्तावेज (आधर कार्ड, वोटर आदि) अनुमति व प्रमाण पत्र (जन्म/विवाह/मृत्यु प्रमाण पत्र)आदि बनवाने व प्राप्त करने की प्रक्रिया के संबध में ग्रामवासियों को जागरूक करना। 2. हितग्राही फलक योजनाओं के लाभ लेने की सम्पूर्ण प्रक्रिया से अवगत कराना। 3. लाडली लक्ष्मी योजना हेतु पात्र बालिकाओं का चिन्हांकन। |
10 |
मार्च से अप्रैल |
1. ग्रामवासियों के सहयोग से ग्राम मे उपल्ाब्ध एवं ग्राम के आसपास के जल स्त्रोतों जैसे- कुआ, नाला, तालाब, बावडी, पोखर, नहर, नदी झरना, आदि के संरक्षण एवं पुनर्जीवन के लिए अभियान चलाकर कार्य करना तथा स्थानीय आवश्यकता एवं वातावरण के अनुसार जल संरक्षण हेतु आवश्यक संरचनाओं का निर्माण करना। 2. लाडो अभियान के अंतर्गत बाल विवाह रोकने हेतु जन जागरूकता अभियान चलाना। 3. स्वच्छता और कूपोषण के लिए जन-जागरूकता अभियानों की रूपरेखा बनाना। |
व्यावहारिक अभ्यास कार्य का प्रतिवेदन लेखन (Report Writing of Field Work)
व्यावहारिक अभ्यास कार्य (एसाइनमेंट फील्ड वर्क इन्टर्नशिप का आँकलन अभ्यर्थी द्वारा प्रतिवेदन प्रस्तुतीकरण एवं अभिलेखीकरण पर आधारित होता है। अभिलेखीकरण के अभाव में छात्र के द्वारा किया गया बेहतर कार्य भी प्रभावहीन माना जाता है। अतः व्यावहारिक अभ्यास कार्य (एसाइनमेंट फील्ड वर्क इन्टर्नशिप का प्रतिवेदन समस्त छात्र पूर्ण मनोयोग से तैयार करें। प्रतिवेदन से सम्बन्धित विभिन्न बिन्दुओं का विवरण निम्नांकित है
1. अध्ययन हेतु चयनित ग्राम/क्षेत्र में रहवासी परिवारों से सम्बन्धित जानकारी सबसे पहले बेसलाइन सर्वे के रूप में प्राप्त की जायेगी।
2. बेसलाईन सर्वे में कार्य प्रारम्भ के पूर्व अध्ययन हेतु चयनित ग्राम/क्षेत्र में सतत विकास लक्ष्यों की वर्तमान समय में स्थिति की जानकारी प्राप्त की जायेगी।
3. इस प्रारूप का प्रयोग व्यावहारिक अभ्यास कार्य (एसाइनमेंट/फील्ड वर्क/इन्टर्नशिप) प्रत्येक के प्रतिवेदन निर्माण के लिए किया जा सकता है।
4. प्रपत्र मे दर्शाये गये बिन्दु मार्गदर्शन एवं प्रतिवेदनों के स्वरूप में एकरूपता लाने के लिए दिये गये हैं।यदि कोई अन्य उल्लेखनीय बिन्दु हों तो उन्हें पृथक से प्रस्तुत किया जा सकता है।
5. प्रतिवेदन हस्तलिखित एवं सुपाठ्य अक्षरों में हो तथा उन्हें तैयार करने के लिए नीले अथवा काले स्याही का उपयोग किया जाए।
6. छायाचित्र, समाचार पत्रों के क्लिपिंग एवं अन्य साक्ष्य जो छात्र के कार्य को प्रमाणित करें उन्हें अवश्य संलग्न करें।
7. व्यवहारिक अभ्यासकार्य के अंत में सम्बन्धित ग्राम में एक इण्डलाईन सर्वे छात्र को करना होगा जिसके अन्तर्गत सतत विकास लक्ष्यों में किये गये कार्यो से प्राप्त उपलब्धियों की जानकारी प्राप्त की जायेगी।
प्रतिवेदन का प्रारूप
समाज कार्य स्नातक पाठ्यक्रम/समाज कार्य परास्नातक पाठ्यक्रम
(सामुदायिक नेतृत्व एवं सतत विकास)
अध्ययन वर्श या LEVEL | |
प्रतिवेदन क्रमांक - | |
छात्र का नाम - | |
अनुक्रमांक/यू.आई.डी. नम्बर- | |
दिन एवं दिनाँक - | |
समय - | |
स्थान - | |
केन्द्र का नाम - |
क्र. | प्रतिवेदन के बिन्दु |
विवरण |
---|---|---|
1. | गतिविधि का नाम | |
2. | उद्देश्य | |
3. | पूर्व में की गई तैयारी | |
4. | गतिविधि के आयोजन का स्वरूप (कार्य क्या था एवं कैसे किया गया क्या कठिनाइयाँ आयी कैसे दूर किया क्या परिणाम आया) |
|
5. | प्रयोग की गई सामग्री/उपकरण | |
6. | सहभागियों की संख्या | |
7. | गतिविधि के फोटोग्राफ | |
8. | समाचार पत्रों की क्लिपिंग | |
9. | अन्य उल्लेखनीय विवरण | |
10. | हमने क्या सीखा | |
11. | भावी योजना |
छात्र के हस्ताक्षर मेंटर के हस्ताक्षर परीक्षक के हस्ताक्षर