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अर्दवार्षिक परीक्षा/आन्तरिक मूल्यांकन/सी.सी.ई
- अर्दवार्षिक परीक्षाओं के आयोजन का उद्देश्य अभ्यर्थी की सतत् अकादमिक उन्नति की निगरानी एवं मापन करना है। इसके प्राप्तांकों को आंतरिक मूल्यांकन के रूप में मूल परीक्षाफल में शामिल किया जायेगा। इसमें पाठ्यक्रम के विषय/प्रश्नपत्र की प्रथम चार इकाईयों में से प्रश्न पूछे जायेंगे। इसमें प्रत्येक सैद्धांतिक प्रश्नपत्र के लिये 20 अंकों का लिखित प्रश्नपत्र होगा।
- अर्दवार्षिक परीक्षाओं का आयोजन पूर्व में घोखिात अकादमिक कैलेण्डर में निर्धारित तिथियों पर किया जायेगा। परीक्षा में बैठने के लिए 80 प्रतिशत उपस्थिति अनिवार्य होगी।
- अर्दवार्षिक परीक्षा में निर्धारित प्रत्येक विषय के लिए एक प्रश्नपत्र होगा।
- प्रत्येक प्रश्नपत्र 25 अंक का होगा। प्रत्येक प्रश्नपत्र में 25 प्रश्न होगे। प्रत्येक प्रश्न एक अंक का होगा तथा प्रत्येक प्रश्न अनिवार्य होगा।
- प्रश्नपत्र का निर्माण सम्बन्धित शिक्षक द्वारा किया जायेगा।
- प्रश्नों की प्रकृति वस्तुनिष्ठ एवं लघुत्तरीय के रूप में होगी।
- प्रत्येक प्रश्नपत्र के लिए परीक्षा अवधि एक घण्टे की होगी।
- परीक्षा के पश्चात उत्तरपुस्तिकाओं का मूल्यांकन संबंधित विषय के मेण्टर के द्वारा किया जायेगा।
- परीक्षा के पश्चात का अगला रविवार प्रगति की समीक्षा से संबंधित होगा। परीक्षार्थियों को उत्तरपुस्तिकाये दिखाई जायेंगी तथा उनकी त्रुटियों पर समीक्षात्मक चर्चा होगी। रचनात्मक सुझाओं द्वारा अभ्यर्थियों के प्रदर्शन को बेहतर करने के उपाय सुनिश्चित किये जायेंगे।
- प्राप्तांको को र्इमेल
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व्यावहारिक अभ्यास कार्य मूल्यांकन
व्यावहारिक अभ्यास कार्य (एसाइनमेंट + फील्ड वर्क) का मूल्यांकन सतत और सत्रांत दोनों रूपों में सम्पन्न होगा। इसके अंतर्गत प्रत्येक अभ्यार्थी को चयनित ग्राम/क्षेत्र में निर्धारित विषय पर दो-दो अंक के 10 प्रदत्त कार्य (एसाइनमेंट) एवं किसी एक केन्द्रीय विषय पर सत्र पर्यन्त फील्ड वर्क कर गाँव/क्षेत्र में सकारात्मक परिवर्तन दर्शाना अनिवार्य होगा।
आन्तरिक मूल्यांकन : फील्ड वर्क पर 30 अंक तथा प्रदत्त कार्य के 20 अंक होंगे। प्रदत्त कार्यों के 20 अंक और फील्ड वर्क के 30 अंकों के कार्य का दस्तावेजीकरण कर प्रत्येक छात्र को प्रस्तुत करना होगा। 20 और 30 अंकों का यह मूल्यांकन अध्ययन केन्द्र में मेण्टर्स/परामर्शदाताओं का पैनल करेगा। इस हेतु प्रत्येक अभ्यार्थी पैनल के सामने दस्तावेजों के साथ अपनी प्रस्तुति देगा।
वाह्य मूल्यांकन : सत्रांत परीक्षा में विश्वविद्यालय द्वारा एक निर्धारित विशेषज्ञ निर्धारित अध्ययन केन्द्र पर परीक्षा संपन्न कराने जायेंगे। वे वर्शभर की गतिविधियों पर अभ्यार्थी के दस्तावेजों का समीक्षात्मक परीक्षण करेंगे और उसके द्वारा की गई गतिविधियों पर प्रश्न कर समाधान प्राप्त करेंगे। इस प्रकार बाह्य विशेषज्ञ प्रतिवेदनों के परीक्षण और मौखिक परीक्षा के उपरान्त अभ्यार्थी के प्रदर्शन के आधार पर 50 (30+20) अंक में से अंक प्रदान करेंगे।
परीक्षा आवेदनपत्र
अध्ययन केन्द्र प्रभारी सम्पर्क कक्षाओं में उन अभ्यर्थियों से जिनकी नियमानुसार 80 प्रतिशत उपस्थिति पूर्ण है, की सूची विश्वविद्यालय को प्रेविात करेंगे। सामान्य स्थितियों में अभ्यथ्र्ाी का अध्ययन केन्द्र ही परीक्षा केन्द्र होगा। विश्वविद्यालय जांचपत्र और प्रवेशपत्र केन्द्र को उपलब्ध करायेगा। अध्ययन केन्द्र प्रभारी प्रवेशपत्र अभ्यर्थियों को वितरित कर पावती प्राप्त करेंगे और जांच पत्र मे प्रश्नपत्रवार उपस्थिति दर्ज करायेंगे।
परिणामों की घोषणा
अध्ययन केन्द्रों से प्राप्त उत्तरपुस्तिकाओं का मूल्यांकन विश्वविद्यालय द्वारा किया जायेगा और नियमानुसार परीक्षाफल घोषित किया जायेगा। घोषित परिणाम विश्वविद्यालय की वेबसाइट www.cmcldp.org पर देखे जा सकेंगे। प्रत्येक अध्ययन केन्द्र प्रभारी को संबंधित केन्द्र का परीक्षाफल विश्वविद्यालय द्वारा उपलब्ध कराया जायेगा।
उत्तीर्ण एवं श्रेणी
- प्रत्येक सैद्धान्तिक प्रश्नपत्र/विषय की बाह्य एवं आंतरिक परीक्षा में पृथक-पृथक छात्र को न्यूनतम् 33 प्रतिशत अंक प्राप्त करना अनिवार्य होगा। अर्थात् प्रत्येक सैद्धान्तिक विषयवार/प्रश्नपत्रवार 25 अंक के आंतरिक मूल्यांकन में न्यूनतम् 8 अंक एवं बाह्य परीक्षा के 75 अंकों में से न्यूनतम् 25 अंक प्राप्त करना अनिवार्य है।
- फील्ड वर्क में आंतरिक और बाह्य परीक्षा में पृथक-पृथक 50 प्रतिशत अंक प्राप्त करना अनिवार्य है। अत: प्रदत्त कार्य के 20 अंकों में से 10 अंक, व्यावहारिक कार्य के 30 अंकों में से 15 अंक इस प्रकार आंतरिक मूल्यांकन के 50 अंकों में से 25 एवं वाहय मूल्यांकन के 50 अंकों में से 25 कुल न्यूनतम् 50 अंक प्राप्त करना अनिवार्य होगा।
पुनर्परीक्षा
- वे छात्र जो किसी विषय/प्रश्नपत्र में निर्धारित न्यूनतम अंक प्राप्त नहीं कर सकेंगे वे उस विषय/प्रश्नपत्र में रिपीट परीक्षा देने के पात्र होंगे। रिपीट परीक्षा देने के लिए पाठ्यक्रम की अधिकतम अवधि में जितने अवसर मिलेंगे, उतनी बार दे सकेंगे।
- रिपीट परीक्षा वर्ण में केवल एक बार ही मुख्य परीक्षा के साथ आयोजित की जायेगी जिसके लिए अलग से निर्धारित प्रपत्र पर आवेदन पत्र एवं शुल्क जमा करने पर परीक्षा हेतु पात्र होंगे।
- किसी पाठ्यक्रम विशेष को पूर्ण करने की निर्धारित समय सीमा के अन्दर छात्र को सिर्फ रिपीट विषय/प्रश्नपत्र का शुल्क ही देय होगा। किन्तु पाठ्यक्रम पूर्ण करने की अवधि के बाद भी रिपीट विषय/प्रश्नपत्र उत्तीर्ण नहीं होते तो उसे पुन: पाठ्यक्रम शुल्क जमाकर पाठ्यक्रम में पुनर्पंजीयन करवाना होगा।
अनुचित साधन
- किसी प्रश्नपत्र में यदि कोई छात्र अनुचित साधनों का प्रयोग करते हुए पाया जाता है तो उसके उस प्रश्नपत्र की परीक्षा स्वमेव निरस्त हो जायेगी। यदि एक ही परीक्षा के दौरान छात्र दो बार ऐसे प्रकरणों में संलिप्त पाया जाता है तो उस वर्ण की पूरी परीक्षा निरस्त हो जायेगी। दो बार से अधिक अनुचित साधन का प्रयोग करते हुए पाए जाने पर पाठ्यक्रम से नि"कासित कर दिया जायेगा।
- विश्वविद्यालय के संज्ञान में यदि यह तथ्य आता है कि किसी परीक्षा केन्द्र पर सामूहिक रूप से अनुचित साधनों के प्रयोग को प्रोत्साहित किया जाता है या प्रयोग हो रहा है तो ऐसी स्थिति में पूरे केन्द्र की परीक्षा निरस्त की जायेगी।
पुनर्गणना
परीक्षा में अधिकतम किन्हीं दो विषय/प्रश्नपत्र में छात्र पुनर्गणना करा सकेगा। इसके लिए निर्धारित शुल्क प्रति प्रश्नपत्र के अनुसार देय होगा। पुनर्गणना का आवेदन परीक्षाफल घोतिात होने के 30 दिवस के अन्दर करना अनिवार्य होगा। निर्धारित दिवस के बाद प्राप्त आवेदनों पर विचार नहीं किया जायेगा। पुनर्गणना में अंकों में जो भी परिवर्तन होगा वही मान्य होगा।
कृपांक
- पाठ्यक्रम में 03 अंकों के कृपांक की पात्रता होगी। ये उसी दशा में प्रदान किये जायेंगे जब इन्हें प्रदान करने से छात्र उस परीक्षा में उत्तीर्ण हो रहा हो। कृपांक अधिकतम दो विषयों/प्रश्नपत्रों में दिये जायेंगे।
- यदि 01 अंक की कमी से छात्र किसी श्रेणी से वंचित होता है तो कुलपति ग्रेस मार्क के नाम पर 01 अंक का कृपांक दिया जायेगा किन्तु कृपांक पाने वाले छात्रों को यह अंक नहीं दिया जायेगा।
परीक्षा परिणाम सम्बन्धी दिशा-निर्देश
परीक्षा परिणाम का अवलोकन करने से संबंधित कुछ सामान्य जानकारी यहाँ दी जा रही है-
पाठ्यक्रम के सैद्धान्तिक विषयों/प्रश्नपत्रों और व्यावहारिक अभ्यास कार्य में उत्तीर्ण होने के लिए न्यूनतम निर्धारित अंक निम्नानुसार होंगे-
- सैद्धांतिक विषयों हेतु
- आन्तरिक (अर्द्धवार्णिक परीक्षा) मूल्यांकन में 30 में से 10 अंक (मेंटर्स द्वारा मूल्यांकन)।
- वार्णिक परीक्षा हेतु 75 में से 25 अंक (विश्वविद्यालय द्वारा मूल्यांकन)।
- प्रायोगिक परीक्षा हेतु
- आंतरिक मूल्यांकन हेतु 50 में से 25 अंक (मेंटर्स द्वारा मूल्यांकन)।
- बाह्य परीक्षक द्वारा 50 में से 25 अंक (विश्वविद्यालय द्वारा नामित बाह्य विशेषज्ञ द्वारा मूल्यांकन)।
- उत्तीर्ण /पास (Pass) -
जिन छात्रों ने पाठ्यक्रम की मूल्यांकन संबंधी समस्त गतिविधियों यथा आन्तरिक मूल्यांकन (अर्दवार्षिक परीक्षा) वार्षिक परीक्षा तथा प्रायोगिक कार्य की आन्तरिक और बाह्य परीक्षा में सम्मिलित होकर निर्धारित न्यूनतम अंक या उससे अधिक अंक प्राप्त किये हैं, उन्हें पास घोषित किया जाता है। उन्हें निर्धारित आवेदन पत्र और शुल्क देकर अगले वर्ष में पढ़ने की पात्रता है।
- प्रमोटेड (Promoted) -
जिन छात्रों ने पाठ्यक्रम की मूल्यांकन संबंधी समस्त गतिविधियों यथा आन्तरिक मूल्यांकन (अर्द्धवार्णिक परीक्षा) वार्णिक परीक्षा तथा प्रायोगिक कार्य की आन्तरिक और बाºय परीक्षा में सम्मिलित होकर सभी प्रश्नपत्रों में निर्धारित न्यूनतम अंक प्राप्त नहीं कर सके हैं, उन्हें प्रमोटेड घोरिात किया जाता है। ये छात्र निर्धारित आवेदन पत्र और शुल्क देकर अगले वर्ण में पढ़ने की पात्रता रखते हैं। इन छात्रों को अगले वर्ण की वार्णिक परीक्षा में प्रथम वर्ण की परीक्षा के संबंधित प्रश्नपत्रों, मूल्यांकन गतिविधियों में सहभागिता कर निर्धारित न्यूनतम अंक प्राप्त करने होंगे। इस हेतु उन्हें 100 रुपये का आवेदन पत्र एवं प्रत्येक प्रश्नपत्र जिनमें निर्धारित उत्तीर्णांक नहीं आये हैं के लिए रुपये 250 (दो सौ पचास) की राशि विश्वविद्यालय में जमा करानी होगी। उदाहरण के लिये यदि एक छात्र नेतृत्व विकास प्रश्नपत्र की परीक्षा में (बाºय या आन्तरिक) और फील्ड वर्क की परीक्षा में सम्मिलित नहीं हो सका है तो उसे रुपये 100 आवेदन पत्र के और 02 विषयों के 250 + 250 = 500 इस तरह कुल 600 रुपये विश्वविद्यालय में जमा कराने होंगे। प्रश्नपत्रों में सम्मिलित होकर निर्धारित अंक न प्राप्त करने वाले छात्रों को भी इसी प्रकार शुल्क जमाकर संबंधित परीक्षा में शामिल होना होगा।
- ईयर रिपीट (Year Repeat) -
जिन छात्रों ने निर्धारित पाठ्यक्रम शुल्क जमाकर नामांकन/पंजीयन कराया किन्तु कुछ कारणोंवश वे मूल्यांकन संबंधी समस्त गतिविधियों यथा आन्तरिक मूल्यांकन (अर्द्धवार्णिक परीक्षा) वार्णिक परीक्षा तथा प्रायोगिक कार्य की आन्तरिक और बाºय परीक्षा में सम्मिलित नहीं हो सके। ऐसे छात्र ईयर रिपीट किये जाते हैं। इन छात्रों को प्रथम वर्ण में फिर से पढ़ना होगा और पूरे वर्ण के लिए पाठ्यक्रम के प्रमाण पत्र स्तर की निर्धारित समस्त गतिविधियों यथा सम्पर्क कक्षाओं, फील्डवर्क और मूल्यांकन संबंधी गतिविधियों में नियमानुसार शामिल होना होगा। ऐसे छात्रों को द्वितीय वर्ण की कक्षा या किसी अन्य गतिविधि में सम्मिलित होने की पात्रता नहीं होगी। ऐसे छात्रों को निर्धारित प्रारूप में आवेदन करने के साथ-साथ रुपये तीन हजार विश्वविद्यालय में जमा करने होंगे। इसी शर्त पर वे पाठ्यक्रम की प्रथम वर्ण की गतिविधियों में शामिल हो सकेगें।
- आन्तरिक मूल्यांकन (CFA = Continuous Formative Assessment or Half Yearly Examination) -
सैद्धान्तिक प्रश्न पत्रों में 33 प्रतिशत और प्रायोगिक प्रश्नपत्र में 50 प्रतिशत अंक आन्तरिक मूल्यांकन के लिए न्यूनतम उत्तीर्णांक निर्धारित किये गये हैं। परीक्षाफल में अनुत्तीर्णविषयों/प्रश्नपत्रों (Failed Papers) के कालम में प्रश्नपत्रों के क्रमांक अंकित किए जाते हैं। जिस छात्र के इस कालम में जो अंक लिखा गया है, वह उस नम्बर के प्रश्नपत्र में अनुत्तीर्णहै।
- बाह्य मूल्यांकन (ESE = End Semester Examination or Annual Examination)-
सैद्धान्तिक प्रश्नपत्रों में 33 प्रतिशत और प्रायोगिक प्रश्नपत्र में 50 प्रतिशत अंक बाह्य मूल्यांकन के लिए न्यूनतम उत्तीर्णांक निर्धारित किये गये हैं। परीक्षाफल में अनुत्तीर्ण विषयों/प्रश्नपत्रों (Failed Papers) के कालम में प्रश्नपत्रों के क्रमांक अंकित किए जाते हैं, जिसका अर्थ है, जिस छात्र के इस कालम में जो अंक लिखा गया है, वह उस नम्बर के प्रश्नपत्र में अनुत्तीर्ण है।
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GPA = ( Grade Point Average or Percentage)-
जी.पी.ए. परीक्षाफल में छात्र की सम्पूर्ण उपलब्धि को प्रदर्शित करता है। परीक्षाफल क्रेडिट सिस्टम एवं 10 प्वाइंट स्केल में तैयार किया जाता है। सैद्धान्तिक प्रश्नपत्र के आंतरिक 25 अंक एवं बाह्य 75 अंक एवं फील्ड वर्क के आंतरिक 50 अंक एवं बाह्य 50 अंक इस प्रकार दोनों में कुल पूर्णांक 100 अंकों में से प्राप्त अंकों को 10 प्वाइंट में विभाजित कर इस प्रश्नपत्र के कुल क्रेडिट के गुणक से टी.जी.पी. निकाला जाता है। जैसे - प्रश्नपत्र 1 का कुल क्रेडिट 3 है तो सैद्धान्तिक प्रश्न पत्र के आन्तरिक 20 में 15 एवं बाहय 80 में 45 अंक अर्जित किये तो पूर्णांक 100 में प्राप्त कुल प्राप्तांक 60 को 10 प्वांयट में विभाजित करने एवं 3 क्रेडिट के गुणक में टी.जी.पी. 18.0 हुआ। इसी प्रकार सभी प्रश्नपत्रों के टी.जी.पी. के योग में कुल क्रेडिट से विभाजित करने पर जी.पी.ए. प्राप्त होता है।
कुल जी.पी.ए. को कुल क्रेडिट से विभाजन करने पर सी.जी.पी.ए./ओ.जी.पी.ए. निकाला जाता है।
किसी छात्र के परीक्षाफल के इस जी.पी.ए./सी.जी.पी.ए./ओ.जी.पी.ए. कालम में यदि 7.6 लिखा हुआ है, तो इसका अर्थ यह है कि उसे परीक्षा में 76 प्रतिशत अंक प्राप्त हुए हैं।
- ग्रेडिंग 10 प्वांइट स्केल में होगी, जिसका विवरण निम्नांकित सारणी में दिया जा रहा है:-
Letter Grade | Grade Points | Description | Range of Marks (%) |
---|---|---|---|
O | 10 | Outstanding | 90-100 |
A+ | 9 | Excellent | 80-89 |
A | 8 | Very good | 70-79 |
B+ | 7 | Good | 60-69 |
B | 6 | Above Average | 50-59 |
C | 5 | Average | 40-49 |
P | 4 | Pass | 35-39 |
F | 0 | Fail | 0-34 |
Ab | 0 | Absent | Absent |
वार्षिक परीक्षाओं का आयोजन
वार्षिक परीक्षाओं का आयोजन अकादमिक कैलेण्डर के अनुसार पूर्व घोमिात समय-सारणी के आधार पर किया जायेगा। फील्ड वर्क की परीक्षा सैद्धांतिक विषयों की परीक्षाओं के पूर्व ही संपन्न करा ली जायेंगी। प्रत्येक दिवस में एक विषय का प्रश्नपत्र सम्पन्न होगा जिसका पूर्णांक 80 होगा। सैद्धांतिक प्रश्नपत्रों को हल करने के लिए अधिकतम तीन घण्टे का समय प्रदान किया जायेगा।
अंक एवं क्रेडिट विभाजन
- समाज कार्य स्नातक सामुदायिक नेतृत्व एवं सतत विकास के प्रथम वर्थ के विषय
- समाज कार्य स्नातक सामुदायिक नेतृत्व एवं सतत विकास के द्वितीय वर्थ के विषय
- समाज कार्य स्नातक सामुदायिक नेतृत्व एवं सतत विकास के तृतीय वर्थ के विषय
- समाज कार्य स्नातक सामुदायिक नेतृत्व एवं सतत विकास के चतुर्थ वर्थ के विषय
- समाज कार्य परास्नातक सामुदायिक नेतृत्व एवं सतत विकास के विषय